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ॐ श्री नमः । ॐ जय शिव गौशाला
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श्री परशुराम सनातन सेवा फाउंडेशन
कान्हा गौधाम गौशाला भारतीय गोवंश सेवा, सनातन संस्कृति संरक्षण हेतु समर्पित।

(1)
अरविन्द प्रताप सिंह (गौलनाथ) अध्यक्ष श्री परशुराम सनातन सेवा फाउंडेशन संस्थापक श्री परशुराम सनातन धर्म गौशाला का कहना है कि भारतीय 15 नस्लों की गौमाताओं को extinction से बचा कर उनके संरक्षण हेतु कार्य करना ही उद्देश्य है।

गौधाम में HF जैसी नस्लों के स्थान पर देशी नस्लों को पालने का वास्तविक कार्य हो रहा है। जिससे बच्चों को सच्चा अनुभव व सच्चा दूध प्राप्त हो रहा है।

कुछ विशेषताएं भारतीय गोवंश के बारे में –
(a) भारतीय गोवंश का मल देशी कीटनाशक से लेकर विशेष वायुवीय ऊर्जा के संचालन में संतुलन करता है। सनातन धर्म में दशवेदों में गौ माता को वंदनीय वंध्य, विष्णुभोग्य व शिव की शांति दी है।

(b) भारतीय गोवंश में सृजित है नाड़ी रेखाएँ जो सृष्टि की किरनों को खींच कर ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम हैं।

(c) भारतीय गोवंश की आंग से सुर्य किरणें टकराती हैं जो देववर्षा जैसी दिव्य ऊर्जा उत्पन्न करती हैं।

(d) भारतीय गोवंश की साँसें वायुवीय गैसों को संतुलित रूप से ऊर्जा क्षेत्र बनाते हैं, जिसके आज भी विज्ञान नहीं सुलझा पाया

(2)
सनातन धर्म को भारतीय गौशाला की संस्कृति से जोड़ने की सबसे श्रेष्ठ कड़ी गौमाता को बताया गया है। हमारे धर्म में गौमाता को जीवित देवता के रूप में पूजा गया है। भारतीय शिक्षाओं में गौमाता की सेवा को परम धर्म बताया गया है। भारतीय गोवंश के संरक्षण व संवर्धन हेतु हम सबको मिलकर कार्य करना है। पंचायत, समाज, धर्म व संस्कृति की रक्षा करता है। पंचगव्य चिकित्सा से जटिल से जटिल बीमारी ठीक की जा सकती है।

(E)
भारतीय गोवंश में दुधारू विदेशी नस्लों के मुकाबले DNA Repair Agents ज़्यादा होते हैं जो जीवों के DNA को रिपेयर करते हैं।

(F)
भारतीय गोवंश में Dark Radiation Absorber तत्व हैं, जिनको नासा की उपग्रहों पर उपयोग किया गया है।

(G)
भारतीय गोवंश जब धरती पर चलते हैं तो उपयोगशक्ति electro magnetic field develop करते हैं जो कि मिट्टी एवं वायुमंडल में उपस्थित negative energy को मिटा देता है। यह Energy Frequency Generator है। इसी तत्व पर आधारित है अमेरिका का Resonant bio-field invention, जो कि Energy Therapy हेतु प्रयोग किया जाता है। जिसको USA की approved संस्था ने स्वीकृति दी है।

(H)
भारतीय गोवंश की निश्चल टट्टी जो ज़्यादातर सुबह 3.00 से 5.00 बजे के बीच होती है, उसके टट्टी के ऊपर वायुमंडलीय ऊर्जा की तरंगों का संचय स्वतः हो जाता है।

(I)
भारतीय गोवंश मंदिर में जन्मी समय से रहने वाले बैल (गाय, मंदिर न रहने वाली), जीवनशक्ति की आकाशीय ऊर्जा को आने से रोकती है। दूसरी आकाशीय ऊर्जा को खींच कर लाते हैं और आकाशीय ऊर्जा के प्रभाव को balance करते हैं।
(J)
भारतीय गोवंश मंदिर, मठ, धार्मिक, ज्योतिषीय एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से Energy Blocker और Energy Filter का कार्य करते हैं। इसके अनेक वैज्ञानिक माने हैं कि भारतीय गोवंश Electro Magnetic Disturbance को सहन कर सकते हैं। इससे ज़्यादा ऊर्जा को अपनी जगह से balance करके रखते हैं।

(K)
भारतीय गोवंश के पंचगव्य (दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर) की विशेषता उल्लेखनीय पाई गई है।

दूध – A2 मिल्क होने के कारण DNA मिलन के साथ संगत है, मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें Good Bacteria की मात्रा आने से यह पचने में सहायक है।

दही – भारतीय गोवंश के दूध की दही में विशेष अम्लीय तत्व होने के कारण मस्तिष्क की Neurons को सक्रिय करता है एवं हानिकारक दूषित वातावरण को दूर करता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को शुद्ध बनाता है।

गोमूत्र – भारतीय गोवंश का गोमूत्र (गौमूत्र) 5 Important Anti Cancer Compound युक्त होता है।
AIIMS दिल्ली, बनारस, लखनऊ एवं अन्य वैज्ञानिक शोध संस्थानों ने इसे Bio-Influence माना है।

(L)
भारतीय गोवंश के DNA में क्षमताएँ केवल पृथ्वी के ही नहीं बल्कि अन्य ग्रहों की भी हैं।
Cosmic Life Form Project में भारतीय गोवंश के DNA में cosmic code matching sequence पाया गया है, यह पृथ्वी पर नक्षत्रीय स्थानों से प्रभावित है।

(M)
मंदिर एवं शिवलिंग का पंचगव्य से अभिषेक करना सिर्फ धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से शक्ति का निमंत्रण होता है।
शिवलिंग पर पंचगव्य से अभिषेक करने से एक प्रकार की ऊर्जा निकलती है, जिससे वातावरण के दूषित तत्व नष्ट होते हैं, जो पृथ्वी को प्रभावित करते हैं।

मंदिर में नैतिकता का भाव जाग्रत होता है, जो मानसिक शक्ति से शरीर को बल प्रदान करता है। मंदिर में स्थित ऊर्जा को जाग्रत करने हेतु पंचगव्य से अभिषेक आवश्यक होता है।

शिव ऊर्जा (Cosmic शक्ति) का प्रतिक है। गौमाता नव तत्व देती हैं, इसलिए गौ माता और पंचगव्य आवश्यक रूप से मानव एवं समाज को शक्ति प्रदान करते हैं

(Q)
भारतीय गौवंश के गौशाला में Bio Field Resonance पाया है, जहाँ ध्यान करने से मानसिक एकाग्रता एवं अनेक साधन गौशाला में ध्यान करने से उत्तम प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
गौमाता के स्पर्श एवं दृश्य गौशाला में सकारात्मक ऊर्जा प्रेरित करते हैं। विशेषतः गम्भीर मानसिक रोगी गौशाला में जाकर रहकर ध्यान लगाने पर स्वस्थ हो जाते हैं।

(R)
भारतीय गौवंश की आरक्षित आंखों की नीली रेखाएं कहलाती हैं दूधन नेत्र, जो ब्रह्मा दृष्टि कहलाते हैं।
जिसके कारण उनकी उपस्थिति दृष्टि को सकारात्मक प्रभाव देती है।
गौमाता की आंखें reflective surface होती हैं, जो ध्यान ऊर्जा को लौटाकर मनुष्य पर पुनः भेजती हैं।
यह तथ्य वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हुआ है। 83 Hz से ऊपर की ऊर्जा H+2 के निम्नतम स्तर पर पहुंच कर मस्तिष्क को प्रभावित करती है।

(S)
भारतीय गौवंश की श्वास पर शोध से ज्ञात हुआ कि जिस इन्फेक्शन को Absence कहकर दूर किया जाता है,
वह सोलर प्रोटोन बर्स्ट से सुरक्षित रखती है और DNA Repair को ज्यादा सक्रिय करती है।

(T)
भारतीय गौवंश आधारित वास्तुशास्त्र की नयी खोजें Wide Path Web Zone बनाती हैं,
जिससे उसकी शांति क्षमता पूर्ण वातावरण में प्रसारित करती हैं।
इसलिए इस विशेष Home एवं Hospital में Cowtherapy Zone बनाए जा रहे हैं।

(U)
सन् 2025 तक Scientists, Army और सैनिकों हेतु विशेष दूध पर अनुसंधान, विशेषकर बूँद दरबारी (दूध बूँदें) की Radiation प्रभाव को खत्म करने की शक्ति बढ़ रही है।
गौमाता एवं पंचगव्य को असीमित शक्ति और गौमाता को मोबाइल ऊर्जा यंत्र लगाया जाएगा

(IV)
वेदों में कहा गया है – सृष्टि के जनक ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की पाँच तत्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) को जोड़कर एक शरीर पर जब तक प्राण नहीं डाला तब तक वह शरीर जड़ था। जैसे ही ब्रह्माजी ने प्राण शक्ति को प्रवाहित किया, शरीर रूप गौ माता खड़ी हो गई।

(10)
इसीलिए भारतीय गोवंश के गोमूत्र एवं गोबर से Radiation Shield बनाया जाता है। NASA की रिसर्च में यह पाया गया कि गौमाता के गोबर पर सूर्य की किरण पड़ने से उसमें Sub Atomic Protective Layer बनती है, जो Mobile Phone और 5G जैसे Radiation को 90% तक कम कर सकती है। इसके प्रमाण स्वरूप NASA द्वारा भारतीय गोवंश आधारित गौबायो चिप का निर्माण किया गया है, जो Radiation को रोकती है।

(P)
भारतीय गौशालाएं एवं मंदिर, गोपाल परिवार के सहयोग से Private Hospital की तरह ग्रामीण इलाज और स्वास्थ्य सुविधा, गौ चिकित्सा, पंचगव्य चिकित्सा, गौ मूत्र, गोबर उपचाराधार को बढ़ावा देने की दिशा में किया गया है।

विदेशी कंपनियाँ भारतीय गौवंशों को समाप्त करके दूध में फिर से व्यापार बढ़ाने हेतु विदेशी नस्लों की मंडलियों द्वारा विदेशी नस्ल की गायों (HF आदि) एवं Foreign Pharma Company और Hospitals की व्यापारिक योजनाओं द्वारा देश को दुग्ध और लालच फ्रेंडली HF जैसी नस्लों की गायों का Semen भारत में सप्लाई करके विदेशी संस्कृति को थोपना चाहती हैं। जिससे बच्चों में एलर्जी, H.F. नस्लों से उत्पन्न दुष्प्रभाव एवं AI, Micro Radiation जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

आज भारत के मोबाइल्स, रेडिएशन, कैंसर, माइग्रेन, थायरॉइड, ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों की प्रमुख वजह यही रही है।

(V)
भारतीय गोवंश जो शास्त्रों में वन्दनीय पशु कहा गया है, जिसकी वृद्धावस्था, मृत्यु, निष्प्रयोज्य स्थिति में भी दान करने से पुण्य व वंशवृद्धि का योग बनता है।
महाभारत, रामायण, ब्रह्मवैवर्त, अग्नि, लिंग, स्कन्द, वायुपुराण, शिव महापुराण, जैन व बौद्धग्रंथ इस बात के साक्षी हैं।

उक्त उल्लेख अनुसार सनातनी आस्थाओं व परंपराओं से निर्मित गोशालाएं हर भारतीय परिवार, हर जीवात्मा को भारतीय गोवंश से जोड़ने एवं परिवार व्यवस्था को संतुलित बनाए रखने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत स्तर तक धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक रूप से विशेष लाभकारी भूमिका निभाएंगी। जिससे देश के भविष्य को उज्जवल दिशा देने हेतु भारतीय गोवंश आधारित शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, पर्यावरण, सुरक्षा एवं ऊर्जा समर्पित रूप साकार रूप ले सके।

आप सभी सनातनी भारतीय आत्माओं को सादर प्रणाम,
जय गौमाता जयतु गोवंशधनम्
आपका
अरविन्दु प्रतापसिंह ‘गौसेवक’
गौलना



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